सत्ता पर क़ाबिज़ होने को
कट-मर जाते दल
आज सियासत सौदेबाजी
जनता में हलचल
हवा चुनावी
आश्वासन के
लड्डू दिखलाए
खलनायक भी नायक बनकर
संसद पर छाए
कैसे झूठ खुले, अँजुरी में-
भरते गंगा-जल
लाद दिए
पिछले वादों पर
और नये कुछ वादे
चिंताओं का बोझ-ज़िंदगी
कोई कब तक लादे
जिये-मरे, ये काम न आये,
बेमतलब, बेहल
वही चुनावी
मुद्दा लेकर
वे फिर घर आए
मन को छूते बदलावों के
सपने दिखलाए
हैं प्रपंच, ये पंच स्वयं के,
कैसे-कैसे छल
कट-मर जाते दल
आज सियासत सौदेबाजी
जनता में हलचल
हवा चुनावी
आश्वासन के
लड्डू दिखलाए
खलनायक भी नायक बनकर
संसद पर छाए
कैसे झूठ खुले, अँजुरी में-
भरते गंगा-जल
लाद दिए
पिछले वादों पर
और नये कुछ वादे
चिंताओं का बोझ-ज़िंदगी
कोई कब तक लादे
जिये-मरे, ये काम न आये,
बेमतलब, बेहल
वही चुनावी
मुद्दा लेकर
वे फिर घर आए
मन को छूते बदलावों के
सपने दिखलाए
हैं प्रपंच, ये पंच स्वयं के,
कैसे-कैसे छल
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