अवनीश सिंह चैहान एक विश्वविद्यालय में अंग्रेजी विभाग में असि॰ प्रोफेसर के पद पर कार्यरत हैं। एक शिक्षक और साहित्यकार उनके व्यक्तित्त्व में समाया है, जिसकी यथार्थ अभिव्यक्ति उनकी रचनाध्र्मिता की विशिष्टता है। गाँव से वे संपृक्त हैं, नगरों में वे रहे हैं और महानगर में रह रहे हैं; अतः तीनों की बहुआयामी अनुभूतियों ने उनके काव्य कलेवर को सजाया-संवारा है। मानव जीवन के यथार्थ द्रष्टा होने के बावजूद भी वे आदर्शवादी संचेतना के साहित्यकार हैं। जीवन-मूल्यों में उनकी गहन आस्था है। वे वसुधैव कुटुम्बकम् की भावना के प्रबल पक्षधर हैं। यह तथ्य मैं नहीं उनकी रचनाएँ बोलती हैं।
साथ ही वे हिन्दी की नवगीत विधा के प्रबल समर्थक ही नहीं, अपितु सहज शिल्पी हैं। नवगीत के काव्यशिल्प सौष्ठव का उन्हें सम्यक् ज्ञान है जिसका साक्ष्य ‘टुकड़ा कागज़ का’ में समाहित रचनाएँ हैं। निस्सन्देह, अवनीश चैहान द्वारा रचित यह काव्यकृति हिन्दी नवगीत विधा की एक महत्वपूर्ण कृति है और वे समकालीन हिन्दी नवगीत के एक समर्थ हस्ताक्षर है।
डॉ महेश ‘दिवाकर’
संस्थापक-अध्यक्ष
अखिल भारतीय साहित्य कला मंच
मुरादाबाद-244001
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